इक ख़ामोश सी रात
तेरा ख्याल, जैसे तारों की बात,
चाँद झाँकता खिड़की से,
जमीं आसमां करते मुलाकात
दूर टूटते तारों के बीच
जैसे जलते दीये की लौ बुझी,
जलते कितने सपनों की रात
आज कही तुमने वही बात!
आशाओं के टूटते आसमानों
के नीचे अश्क़ बहाती जमीं की
इक ख़ामोश सी रात,
दोनों छोर हों दूर छितिज सी बात
जमीं आसमां बस करते मुलाकात!!
- अभिजीत ठाकुर
भैया...बहुत बहुत सुंदर भाव ।🙏🌺🌺🌺😊😊 मनोहारी भाव ।।
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