Hindi poetry- advice for human:दसों दिशाओं को छलकर मिला नही!
Abhijit Thakur
21:51
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दशों दिशाएं को भी छलकर मिला नहीं गंतव्य सतत चलकर! भस्मीभूत हुआ जीवन मृदु कितना, रहा अनोखा विस्मय ऊंचा हिम जितना! जतन समग्र य...
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