आँगन के उस दाहिने कोने
में यादों के अलाव जलाये रखना,
हरसिंगार के पेड़ तले
तुम झनकार बनाये रखना!
युगों हम हवाओं के सहारे मिले
सांसों को महकाये रखना,
लज्जा कर मेरा नाम ना पुकारो
इन्हें अपने होठों पे छुपाये रखना!
अपनी ये प्रेम कहानी
तुम्हारी पायलों सी बजे!
सदा ही मुझे इसी झंकार सा
तुम याद बनाये रखना!
अभिजीत ठाकुर
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