मेरे हृदय के
पाषाण हुए तल पर,
प्रेम बूँद बन जब तुम
बरस जाते हो।
आ जाता है सुकून,
जब शब्दोँ से निकल
बन भाव,
तुम मेरे अधरों
पर मुस्काते हो।
खो जाते हैं अंधेरे
तमाम राह के ,
साथ चलने को
जब तुम आ जाते हो।
-अभिजीत ठाकुर
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