हमारे दरम्यां इक
खामोश रिश्ता है,
जो इतना गहरा
और मज़बूत है जिसे न
तो काटा जा सकता है।
ना ही इसकी जड़ो कि
गहराई का अंदाज़ा
लगाया जा सकता है।
दूर होकर भी इतने
करीब हो कि तुम सांस
लेती हो तो मैं महक उठता हूँ।
अब क्या लिखूं इस खत में
समझ नही आता या यूँ कहूँ ,
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते खुद
जज्बातों को उकेरने के लिए,
खाली ये पन्ना भेज रहा हूँ,
नाम के साथ जब इसमें
कोई अक्षर नज़र न आये
तो समझ जाना इसकदर प्यार है।
कि शब्दकोष में वो शब्द नहीं
जिसे लिख के जता सकूँ,
अपने भीतर के उमड़ते एहसास।
पढ़ लेना तुम ख़ामोशी की भाषा जो
दिल से दिल तक का सीधा संचार है,
हाँ! ये प्रेम संचार है !!
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