चलो कभी फुर्सत में, साथ मेरे .. है सफर अनंत का! - Path Me Harshringar : by Abhijit Thakur

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Monday 21 January 2019

चलो कभी फुर्सत में, साथ मेरे .. है सफर अनंत का!


hearts


चलो कभी फुर्सत में,
साथ मेरे, है सफर अनंत का।
अनेक सृष्टियों के पार
भी और जहाँ
होंगे।।

अपने प्रेम का नव
आयाम, तब ही जुड़
सकेगा, सच्चे अर्थों में अपने
प्रेम में तब ही आदि,
मध्य या अंत ना होंगे।।

व्यर्थ के तर्कों पर समय
नष्ट ना करो,हो सके तो
इसी क्षण चलो।
मूंद कर आँखें, हृदयाकाश
में विचरण करो।।

असंख्य आकाश गंगाओं
को समेटे, प्रलय एवं सृजन
के नित नूतन कौतुक करते।
हरिहर देखो घट में बैठे।।

दिव्य सुगंधोँ से अच्छादित
तुम रोम रोम पाओगे,
जो कर्ण सुन नहीं सकते,
वो स्वर लहरी सुन पाओगे।

जीवनामृत यही है
मोक्ष, लक्ष्य और अभिष्ट।
मानव जीवन के उत्थान हेतु,
विधि द्वारा यही निर्दिष्ट।।


- अभिजीत ठाकुर

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