नजर नाज़ुक सी
देखती जिस तरफ,
एक कोहराम उठता
दिल धड़कता वेशुध,
कोई संगीत बज
उठता इन हवाओं में,
इक गीत की खनक
ख़ामोशी से वजूद को
घेर लेता आगोश में,
नजऱ नाजुक सी
देखती जिस तरफ़
इक बवाल फिर हर तरफ
कई सवाल फिर हर तरफ!!
अभिजीत ठाकुर
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