प्यार के सिलसिले बहुत पुराने हुए... उसके अब दूर बहुत ठिकाने हुए - Path Me Harshringar : by Abhijit Thakur

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Tuesday, 22 January 2019

प्यार के सिलसिले बहुत पुराने हुए... उसके अब दूर बहुत ठिकाने हुए


प्यार के सिलसिले बहुत पुराने हुऐ,
उसके अब दुर बहुत ठिकाने हुऐ।

कल मिला था चौराहे पर,
मगर रास्ते पर दोनों जैसे वेगाने हुए।

वो राह चलते गये वेरूखी से,
जैसे सदियों से हम अंजाने हुए।

अजब से हैं मंजर, और यहाँ के दस्तुर,
यकींनन वो किसी और के दिवाने हुए।

पूछ तो लेता सरे राह, वेरूखी का सबब,
न कर सके सही वक्त पे सही सवाल,

ये अंजाम हुआ, दिल में अब बवाल।

फिरते रहे क्यूँ खामखाँ उस वेदर्द
का दर्द सीने में पाले हुए।

रहे गये खामोश, देखकर खुद की
जिंदगी को गैर हो जाते हुए।

 -अभिजीत ठाकुर


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