Hindi poetry devotion to the supreme:हमारे प्रेम के इस दिव्य आलोक में, बचा जीवन बीत जाऐ! - Path Me Harshringar : by Abhijit Thakur

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Friday, 1 February 2019

Hindi poetry devotion to the supreme:हमारे प्रेम के इस दिव्य आलोक में, बचा जीवन बीत जाऐ!


तुमसे मेरा स्नेह

सांसारिक नहीं, अकारण नहीं, संयोगमात्र भी
नहीं, अलौकिक है।
हमारे प्रेम के इस दिव्य आलोक में, बचा जीवन
बीत जाऐ!
बस मेरी यही कामनाऐँ।
शुद्ध प्रेम पल्लवित
हुआ किसी बड़े कारण से। तुमसे प्रेम कितना है हमें,
उन शब्दोँ की रचना।
कम से कम सृष्टि
में हुई, अब तक नहीं।।
मुझे है विदित
लोभ और स्वार्थ,
लेशमाश भी हमारी
दृष्टि में नहीं।
मैं आत्मियता वस
आ गया हूँ द्वार तुम्हारे। अब तक गया नहीं मैं
कहीँ।।
मुझे सुदामा जानकर
बस हृदय से लगा लेना।
होगा मेरा परम अल्हाद यही, प्रेम का उपहार
यही।।
हे केशव!
हृदय पुकारे,सुनो!
तुमसे मेरा
स्नेह सांसारिक, कदापि नहीं।।

अभिजीत ठाकुर



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